प्रत्येक व्यक्तित्व अथवा वस्तु में एक सुन्दरता छिपी होती है । आवश्यकता है तो सिर्फ उसे पह्चानने की, एक दृष्टि की जो हर वस्तु अथवा व्यक्तित्व में छिपी सुन्दरता को पहचाने, उसे ढूँढ निकाले ।
कभी नाव चलाते हुए नाविक को देखें । उसका शांत, स्मित चेहरा कितना मोहक लगता है या देखें खेत में काम करते हुए किसान को या एक काम करते हुए मज़दूर को या कला की सृष्टि में लीन एक कलाकार को या फिर संगीत का अभ्यास करते हुए गायक अथवा संगीतकार को । प्रत्येक की मुद्रा में एक भावनात्मक सुन्दरता एवं मोहकता नज़र आती है । इसे पह्चानने एवं अनुभव करने के लिये आवश्यकता है एक दृष्टि की जो स्वयं निर्मल एवं पूर्वाग्रह से मुक्त हो ।
आवश्यकता है न सिर्फ व्यक्तित्व में छिपी इस सुन्दरता को पहचानने की एवं अनुभव करने की बल्कि उसे उस व्यक्ति के सामने व्यक्त करने की । हमारी यह अभिव्यक्ति उस व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व के एक सुन्दर पक्ष से परिचित कराती है और अपने में छिपी सुन्दरता को उजागर करने को प्रेरित करती है ।
उत्तरोक्ति : उपरोक्त पंक्तियों में उल्लिखित विचार की उत्पत्ति कुछ दृश्यों के अनुभव का परिणाम है । इन पंक्तियों में वर्णित दृश्यों या इन जैसे कई दृश्यों को आपने भी अनुभव किया होंगा । पाठकों से अनुरोध है कि इस विषय में अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त करें । पाठकों की प्रतिक्रियाओं से लेखक का उत्साहवर्धन ही नहीं मार्गदर्शन भी होता है ।